25/2/2017-मथुरा,द्वारकाधीश दर्शन,जन्म भूमि,नारद टीला,ध्रूव टीला।
आज 25 km. चलना था। मैंने सबको मना लिया था की धीरे- धीरे ही सही पर मैं पदयात्रा ही करूंगी। हम सुबह 4 बजे निकले और यमुना स्नान करके महारानी यमुना जी उनके भाई धर्मराज मंदिर के दर्शन किये।वहाँ से हमने कच्चा रास्ता लिया, खेतों के बीच में से होते हुए, हम द्वारकाधीश मंदिर पहुँचे वहां दर्शन किये।फिर हम जन्मभूमि
दर्शन के लिए निकले।
कृष्ण जन्म भूमि जहाँ भगवान् का जन्म हुआ था। यही वो बंदीगृह है जहाँ माता देवकी और पिता वासुदेव को रखा गया था। यहाँ से हम
महोली गाँव के लिए निकले। रस्ते में हमने भूतेश्वर और जयगुरुदेव मंदिर के दर्शन किये। कई मंदिर की फोटो लेना मना था।
रास्ता खेतो से भरा था ,थकान होने के बाद भी ये प्रकृति के मनमोहक दृश्यों ने हमारा मन लगाए रखा। खेतों के बीच में छोटी- छोटी पगडण्डी को पार करना बहुत मुश्किल था। हमारे सामने वाले टैंट की एक बूढ़ी चाची जी का पैर फिसल गया, और वो गिर गयी ,उन्हें तुरंत सड़क पर गाड़ी तक पहुँचाया गया। कुछ न कुछ रोज होता रहता था, पर हम सभी के होंसले बहुत बुलंद थे ,मुश्किलें उन्हें तोड़ नहीं पायीं। रस्ते में विश्राम घाट और नारद टीला के दर्शन किये।
अब हम महोली गाँव हमारे पड़ाव पर पहुँच गए।आज टैंट तैयार नहीं था। ये 10 मिनिट इन्तजार करना, बहुत भारी लग रहा था। जैसे ही टैंट लगा सभी ने प्रसाद लिया, अपना -अपना सामान रख कर पैरों की सेवा की, मैंने भी मेरे छाले पर मेहंदी लगायी। चाची जी के हाथ कि हड्डी टूट गयी थी। डॉक्टर ने पट्टा बांध दिया था। चाची जी बहुत ही बहादुर हैं ,उन्हें देख कर बिल्कुल भी नहीं लग रहा था, कि वो दर्द में है। शाम को वे हमारे साथ ध्रूव टीला गयी। जहां भक्त ध्रूव का मंदिर था ।आरती दर्शन कर हम भजन करते- करते पुनः लौट आये। आज हमारा पड़ाव मधुवन में था ,एक- दुसरे की सहायता करते हुए और कल की योजना बनाते हुए, समय निकल गया। रात में जानवरों के संगीत से नींद आ गयी।
Well done. 25 km chale ke baad.. n chachiji to.sahi hain
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